meriabhivyaktiya
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बापू जी के बंदर तीन
एकदिन दिखे बड़े गम़गीन
मैने पूछा-” क्यों बंदर भाई
चेहरे पर गम़गीनी छाई?”
बोले बन्दर नम्बर वन,
बड़ा दुखी है मेरा मन।
बंद आंखे पर सुनू बुराई,
मोहे भाए ना ये खटाई।
बोले बन्दर नम्बर टू
आंखें कैसे बंद करलूँ?
हाथ कान पे रखे हूँ,
बुरा आंख से देखे हूँ?
बोले बन्दर नम्बर तीन,
कैसे बजाऊँ अपनी बीन?
बंद मुहँ कर रहा ना जाय,
देखूँ सुनूँ तो गुस्सा आयें।
बात तो बोले तीनो ठीक ,
पर ठहरे एक सीख प्रतीक !
मिल जाए इक अचूक निदान,
समस्या विकट तारो भगवान!
तकनीकि का भला हो भाई,
बना दिया जो ये मोबाइल।
सब कुछ भूलकर इसमे गुम,
लेकर घूमें अब हाथ में दुम ।
तभी दिखे एक मस्त कलन्दर,
लीन मग्न मोबाइल के अन्दर।
सीख प्रतीक के उत्तम सिम्बल,
आ गए चौथे टेक्नोसेवी बन्दर।
हो गए मुक्त बन्दर तीन ,
जश्न मनाएं तक धिन धिन!!
सेल्फी खींची वायरल की,,
तीनों बन्दर फ़ीलिंग फ्री 1!!
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