Menu
blogid : 24183 postid : 1345057

खुशबू क्यों अदृश्यमान है?

meriabhivyaktiya
meriabhivyaktiya
  • 125 Posts
  • 73 Comments

Nature


उसको कहां खोजूं जो मन में समाया है,
फूल तो दिखता है पर खुशबू कहां दिखती है,
और हठ खुशबू को देखने की है,
महसूस तो बहुत कर चुकी,
अब आप कहेंगे फूल जीव और खुशबू ईश के समान है,
एक शरीर और दूजा प्राण है,
नसिका ले रही गंध और इन्द्रियां
हो रही सम्मोहन से निष्प्राण हैं,
पलके मूंद रही और मुख पर
आनंद की मुस्कान है,
सब सुख लेकर भी आंखों
को वही प्रश्न किए परेशान है,
अनुभूतियों में जो दिख रहा
उसकी प्रकटता क्यों अदृश्यमान है?
जानकर भी बन रहा मन अन्‍जान है,
पुष्प तो दिख रहा खुशबू क्यों अदृश्यमान है?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh