meriabhivyaktiya
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आज फिर एक बार इज़हार-ए-प्यार लिखूँ
मौसम-ए-मस्त में दिल-ए-बेकरार लिखूँ
छूकर जो गुज़रती जाए एक लहर रेत को
लहराते फिसलते गीले जज़्बात लिखूँ
ठंडी हवाओं मे तुम्हारे एहसासों की नमी
भींगोकर गुज़रती वह नर्म तासीर लिखूँ
आंखों मे चलती तेरी कहानियों की झिलमिल
कितनी ही अनकही अनछुई रवानियां लिखूँ
उनके आने से सुबह जेठ की हो गई सुहानी
कागज़ पर बदलते मौसम-ए-मिजाज़ लिखूँ
तपती धूप भी भीग रही प्यार की बरसात मे
मै इश्क मे तपते, भीगते हालात लिखूँ
दूरियां ना तोड़ पाईं हौसला-ए-जूनून
तेरी जूस्तजू से फासलों को नाप कर लिखूँ
छलकती आंखों मे गुनगुनाए तस्वीर तेरी
मै तेरे प्यार का उमड़ता दिल-ए-तूफान लिखूँ
बहक कर लिखूँ , के सम्भलकर लिखूँ
मेरे हमसफर बता, मै तुझे कैसे लिखूँ
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