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एक छोटी सी फूंस की झोपड़ी बनाई है,कहीं दूर वीराने मे,,,
एक दिया प्यार का जला रखा है अपने सनमखाने मे,,,,
उम्मीदों का तेल डाल कर उसे जलाए रखती हूँ,,
दिये की लौ जब हालात की आंधी से थरथरा उठती है,,,,
हथेलियों से उसे छुपाए रखती हूँ,,,,
अभी तो हवांए सर्द हैं,,,,मौसम का मिजाज़ भी मेरा हमदर्द है,,,,
कब ज़िन्दगी का रूख पलट जाए,,,
उम्मीदों का तेल तो रहे पर कहीं दिये की बत्ती ही पूरी जल जाए,,,
दिल के किसी कोने में एक यह भी बदख़्याल रखती हूँ,,,,
मजबूत हौंसलों की कभी हार नही होती,,,
पर किस्मत और समय की लाठी मे आवाज़ नही होती,,,,,
इसलिए हर जिये लम्हों की तस्वीर अपनी यादों के एलबम मे संजों कर रखती हूँ,,,,
कभी तूफान मे मेरी फूंस की झोपड़ी उड़ भी जाए तो क्या,,, बौखलाए झोंकों से दिया गिर कर टूट भी जाए तो क्या,,,,
ज़मीन पर उस झोपड़ी के निशान तो होंगें,,,,
टूटे हुए दिये के बिखरे पैगाम तो होंगें,,,,
उम्मीदों के फैले हुए तेल ने अपनी खुशबू तो रख छोड़ी होगी,,,,
कहीं दूर आधी जली उसकी बाती भी पड़ी तो होगी,,,,
सब चुन कर अपने दामन मे रख लूँगीं,,,,
फिर कहीं इस तुफानी तबाही की कहानी भी लिख लूँगीं,,,
मेरी कहानियों मे फिर से मेरे प्यार का दिया टिमटिमाएगा,,,,
जो किसी भी हालाती तुफान से कभी बुझ ना पाएगा,,,
फूंस की झोपड़ी को अपनी कलम से बना लूँगीं,,,,जो कभी वीराने मे बनाई थी,,,
उसे कागज़ पर सजा दूँगीं,,,,,
मेरे जाने के बाद भी मेरा प्यार मुस्कुराएगा,,,,
,मेरी कहानियों मे हमेशा दिये सा जगमगाएगा,,।
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