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गुलाबी ठंड ने छेड़ी एक नई जुगलबंदो

meriabhivyaktiya
meriabhivyaktiya
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एक चादर और दो बदन
प्यार का एहसास और नरम सी छुवन

सांसों की सांसों से जुगलबंदी
नयनों की नयनों से कहा सुनी

बाहुपाश मे रंग बदलता अभिसार
गुलाबी सी सिहरन में प्यार का विस्तार

कलिदास की मेघदूत,तुम रवीन्द्र का संगीत
प्रीत की बांसुरिया पर थिरके पायलिया के गीत

अह्लादित भावों से करे प्रीत है श्रृगांर
लाज भरे नयन बने पिय गले का हार

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