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प्रिय बैरन भई आखियाँ

meriabhivyaktiya
meriabhivyaktiya
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ना जाने क्यों भर आई अंखियाँ,
ओ प्रिय हमने न की कोई बतियां।

प्रिय बड़ी बैरन भई अंखियाँ,
तुम नयनन् मे बसे,
इन्हे सुहाए ना ये बतियां,
येही कारन भर भर आए अंखियाँ
असुअन की धार संग
पिया को बहाए अंखियाँ।

ना जाने क्यों भर आई अंखियाँ,
ओ प्रिय हमने न की कोई बतियां

सुन रे पिया बड़ी चालबाज भईअंखियाँ
जो देखूँ नयन भर के तोहे
पलकन ने झुकाए अंखियाँ
प्रीत की तोसे न बतावन दे बतियां।

ना जाने क्यों भर आई अंखियाँ,
ओ प्रिय हमने न की कोई बतियां

पिया तुम बतियाओ मोह से
तो लजाए सकुचाये यह अंखियाँ
बिन कहे सबहिं से रहि बोले
सौतन बन गयी सजन यह अंखियाँ
हाय बड़ी बैरन भई अंखियाँ
येही कारन बिन बात भर आए अंखियाँ।

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